Sunday, March 27, 2022

गणेश जी को बतानी है मन की बात तो चिट्ठी इसे पते पर भेजो...


 


गणेश जी को बतानी है मन की बात तो चिट्ठी इसे पते पर भेजो...

हिंदू धर्म में किसी भी शुभ काम से पहले भगवान गणेश की पूजा का विधान है. प्रथम पूज्य गणेश के लिए लोगों की आस्था का एक केंद्र रणथंभौर में है.इस देश में जगह-जगह आस्था और विश्वास के अद्भुत उदहारण देखने को मिलते हैं. आज के जमाने में जहां इंटरनेट, ई-मेल और फोन का चलन है. वहां एक ऐसी भी जगह जहां लाखों की तादात में चिट्ठियां भेजी जाती हैं. यह चिट्ठि‍यां किसी इंसान को नहीं बल्कि गणनायक भगवान गणेश को भेजी जाती हैं.

जी हां, राजस्थान के रणथंभौर में एक मंदिर ऐसा है जहां गणपति को हर शुभ काम से पहले चिट्ठी भेजकर निमंत्रण दिया जाता है. इसलिए यहां हमेशा भगवान के चरणों में चिठ्ठियों और निमंत्रण पत्रों का ढेर लगा रहता है.

मंदिर की स्थापना:
राजस्थान के सवाई माधौपुर से लगभग 10 किमी. दूर रणथंभौर के किले में बना गणेश मंदिर भगवान को चिट्ठी भेजे जाने के लिए जाना जाता है. यहां के लोग घर में कोई भी मंगल कार्य करते हैं तो रणथंभौर वाले गणेश जी के नाम कार्ड भेजना नहीं भूलते. यह मंदिर 10वीं सदी में रणथंभौर के राजा हमीर ने बनवाया था. 

कहा जाता है कि युद्ध के दौरान राजा के सपने में गणेश जी आए थे और उन्हें आशीर्वाद दिया. जिसके बाद युद्ध में राजा की विजय हुई. तब उन्होंने अपने किले में मंदिर का बनवाया.विराजते हैं त्रिनेत्री भगवान गणेश:

यहां भगवान गणेश की मूर्ति बाकी मंदिरों से कुछ अलग है. मूर्ति में भगवान की तीन आंखें हैं. गणेश जी अपनी पत्नी रिद्धि, सिद्धि और अपने पुत्र शुभ-लाभ के साथ विराजमान हैं. गणनायक का वाहन चूहा भी साथ में है. यहां गणेश चतुर्थी पर धूमधाम से उत्सव मनाया जाता है और विशेष पूजा अर्चना की जाती है.डाक से भगवान को भेजी जाती हैं चिट्ठियां:
यह देश के कुछ उन मंदिरों में से है जहां भगवान के नाम डाक आती है. देश के कई लोग अपने घर में होने वाले हर मंगल कार्य का पहला कार्ड यहां भगवान गणेश के नाम भेजते हैं. कार्ड पर पता लिखा जाता है- 'श्री गणेश जी, रणथंभौर का किला, जिला- सवाई माधौपुर (राजस्थान)'. डाकिया भी इन चिट्ठियों को पूरी श्रद्धा और सम्मान से मंदिर में पहुंचा देता है.इसके बाद पुजारी चिट्ठियों को भगवान गणेश के सामने पढ़कर उनके चरणों में रख देते हैं. मान्याता है कि इस मंदिर में भगवान गणेश को निमंत्रण भेजने से सारे काम अच्छी तरह पूरे हो जाते हैं.

Saturday, March 19, 2022

करौली के मदन मोहन जी मंदिर के दर्शन की जानकारी




करौली के मदन मोहन जी मंदिर के दर्शन की जानकारी-:

 मदन मोहन मंदिर भारत के राजस्थान राज्य के करौली में स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है। बता दें कि यह मंदिर भद्रावती नदी के किनारे खड़ा हुआ है, जो अरावली की पहाड़ियों में बनास नदी की एक सहायक नहीं है। यह पवित्र मंदिर भगवान कृष्ण को समर्पित है और इस मंदिर में भगवान की जो मूर्ति है उसे श्री गोपाल सिंहजी आमेर से लेकर आये थे। मंदिर में स्थापित कृष्ण की यह मूर्ति 3 फीट ऊंची और राधा जी की मूर्ति 2 फीट की है।

इन मूर्तियों की सबसे खास बात यह है कि यह अष्टधातु की बनी हैं। बता दें कि यह मूर्तियां इतनी प्राचीन है कि उनकी कीमत का कोई अनुमान भी नहीं लगा सकता। राधा कृष्ण की मूर्तियां दिखने में बेहद सुंदर है और यह मूर्तिकला का एक अनूठा उदाहरण हैं। मदन मोहन मंदिर राधा कृष्ण के दर्शन करने के लिए दूर-दूर से भक्त आते हैं। 


मदन मोहन मंदिर का इतिहास-: 

मदन मोहन मंदिर के इतिहास की बात करें तो बता दें कि इस मंदिर के प्रमुख भगवान कृष्ण है। ऐसा माना जाता है कि जब श्री गोपाल सिंहजी को दलातबाद की लड़ाई में जीत मिली। तो इसके बाद उन्होंने सपने में देखा कि भगवान कृष्ण ने उन्हें अपनी मूर्ति आमेर से करौली स्थापित करने के लिए कहा। इसीलिए गोपाल सिंह ने कृष्ण की इस मूर्ति को आमेर से लेकर आये और इस मंदिर का निर्माण करवाया। इस मंदिर के बारे में ऐसा भी कहा जाता है मुगलों से बचाने के लिए कृष्ण की दो मूर्तियों को वृंदावन से लाया गया था, जिसमें से एक को जयपुर में स्थापित किया गया था और एक को करौली में। ऐसा माना जाता है कि गोवर्धन यात्रा को पूरा करने के लिए मदन मोहन मंदिर और गोविंद देव जी मंदिर के दर्शन करना बेहद जरुरी है।

मदन मोहन मंदिर करौली के चार धामों में से एक है, जिसमें कैला देवी मंदिर, मेहंदीपुर बालाजी मंदिर और श्री महावीरजी का मंदिर शामिल हैं। आपको बता दें कि इस मंदिर में भक्तों द्वारा प्रसाद चढ़ाया जाता है। मंदिर में चढ़ाया जाने वाला जुगल प्रसाद एक ऐसा भोग है जिसमें लड्डू और कचौरी चढ़ाई जाती है।

मदन मोहन मंदिर करौली में दैनिक पूजा और उत्सव-:

भगवान कृष्ण के अनुष्ठान और पूजा का सबसे बड़ा हिस्सा सामूहिक प्रार्थना है जो की सामूहिक प्रार्थना एक बड़ा हिस्सा है। मंदिर सुबह 5 : 00 बजे से रात 10:00 बजे तक खुला रहता है। मंदिर में सुबह 5 बजे मंगल आरती इसके बाद 9 बजे धूप आरती और 11 बजे श्रृंगार आरती की जाती है। इसके बाद दोपहर 3 बजे फिर धूप आरती और शाम को 7 बजे से संध्या आती की जाती है। आपको बता दें कि यह मंदिर हिंदू धर्म की आस्था का एक प्रमुख केंद्र है। ग्रामीणों लोगों में मंदिर के भगवान के प्रति काफी दृढ़ श्रद्धा है। इस मंदिर की पूजा गौड़ीय अनुष्ठानों और परंपराओं के अनुसार की जाती है। आपको बता दें कि मंदिर में 5 बार भोग लगाया जाता है और खास विशेष अवसरों भगवान को छप्पन भोग भी चढ़ाया जाता है।

भगवान के कृष्ण के इस मंदिर में हिंदू धर्म के सभी प्रमुख त्योहार मनाए जाते हैं, लेकिन राधा और कृष्ण से जुड़े त्योहारों को यहां लोग बेहद उत्साह के साथ मानते हैं। जन्माष्टमी, राधा अष्टमी, गोपाष्टमी और हिंडोला आदि त्योहारों पर मंदिर में काफी भीड़ होती है। महीने में हर बार अमावस्या पर एक मेले का आयोजन किया जाता है जिसमें स्थानीय और ग्रामीण लोग भाग लेते हैं। 


हर साल वचन निभाने पुरी से मानोरा आते हैं भगवान जगदीश स्वामी

  विदिशा . अपने भक्त मानकचंद तरफदार को दिया वचन निभाने जगदीश स्वामी अपने भाई बलभद्र और बहन देवी सुभद्रा संग हर साल आषाढ़ सुदी दूज के दिन भक्...