एक नीला व्यक्ति पेट के बल रावण के पैर के नीचे लेटा रहता है। यह कौन था?
आपने रामायण में देखा होगा की एक नीला व्यक्ति पेट के बल रावण के पैर के नीचे लेटा रहता है। यह कौन था? आइए आज हम आपको बताते हैं की यह नीला व्यक्ति कौन होता है यह साक्षात ग्रहों के देवता शनिदेव थे। इसके पीछे एक पौराणिक कथा है जो मैं आज आपको विस्तार से बताने वाला हूं। रावण एक बहुत बड़ा ज्योतिषी था एक बार सभी देवों को हराकर सभी नौ ग्रहों को हराकर अपने अधिकार में कर लिया था। सभी ग्रहों को मुंह के बल लेटा कर अपने पैरों को नीचे रखता था उसके पुत्र के पैदा होने के समय रावण ने सभी ग्रहों को शुभ स्थिति में रख दिया था। देवताओं को डर भी था की इस प्रकार रावण का पुत्र इंद्रजीत अजय हो जाएगा लेकिन ग्रह भी रावण के पैरों के नीचे दबे होने के कारण उसका कुछ उपाय नहीं कर सकते थे । शनी अपनी दृष्टि से रावण की शुभ स्थिति को खराब करने में सक्षम थे पर वह मुंह के बल जमीन पर होने के कारण कुछ नहीं कर सकते थे। तब नारद मुनि लंका आए और ग्रहों को जीतने के कारण रावण की बहुत प्रशंसा की और कहा अपने यश को इन ग्रहों को दिखाना चाहिए जो कि जमीन पर मुंह के बल होने के कारण कुछ नहीं देख सकते है। रावण ने नारद की बात मान ली और ग्रहों का मुख आसमान की ओर कर दिया तब शनी ने अपनी मार्ग दृष्टि से रावण की दशा खराब कर दी। रावण को बात समझ आई और उसने सनी को कारागृह में डाल दिया और वह भागने सके इसलिए जेल के द्वार पर इस प्रकार शिवलिंग लगा दिया कि उस पर पांव रखे बिना शनि देव भाग ही ना सके तब हनुमान जी ने लंका आकर शनि देव को अपने सर पर बिठाकर मुक्त कराया था। शनी के सिर पर बैठने में हनुमान कई प्रकार के बुरे चक्रों में पड़ सकते थे। यह जानकर भी उन्होंने ऐसा किया तब शनी ने प्रसन्न होकर हनुमान जी को अपने मार्ग कोप से हमेशा मुक्त होने का आशीर्वाद दिया और एक वर मांगने को कहा तब हनुमानजी ने अपने भक्तों के लिए हमेशा शनि के कोप से मुक्त रहने का आशीर्वाद मांगा। इसीलिए कहते हैं कि जो भी हनुमान जी की आराधना करता है वह शनिदेव की दृष्टि से दूर रहता है।
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