Monday, April 18, 2022

मंगलवार व्रत कथा


मंगलवार व्रत कथा

मंगलवार के दिन हम हनुमान जी की पूजा करते हैं. भगवान हनुमान को भय को दूर करने वाला तो माना ही जाता है साथ हनुमान जी आयु, पुत्र और सुखी वैवाहिक जीवन का भी फल देते हैं. इसीलिए कई लोग मंगलवार का व्रत पुत्र प्राप्ति के लिए रखते हैं.

मंगलवार पूजन विधि

मंगलवार व्रत की शुरूआत शुक्ल पक्ष के प्रथम मंगलवार से करनी चाहिए. इस व्रत को आठ मंगलवार अवश्य करें. इस व्रत में गेहूं और गुड़ से बना भोजन ही करना चाहिए. एक ही बार भोजन करें. लाल पुष्प चढ़ायें और लाल ही वस्त्र धारण करें. अंत में हनुमान जी की पूजा करें.

मंगलवार व्रत कथा

एक निःसन्तान ब्राह्मण दम्पत्ति की है जो काफ़ी दुःखी थे. ब्राह्मण वन में पूजा करने गया, और हनुमान जी से पुत्र की कामना करने लगा. घर पर उसकी स्त्री भी पुत्र की प्राप्त के लिये मंगलवार का व्रत करती थी. मंगलवार के दिन व्रत के अंत में हनुमान जी को भोग लगाकर भोजन करती थी. एक बार व्रत के दिन ब्राह्मणी ना भोजन बना पायी, और ना भोग ही लगा सकी. तब उसने प्रण किया कि अगले मंगल को ही भोग लगाकर अन्न ग्रहण करेगी. भूखे प्यासे छः दिन के बाद मंगलवार के दिन तक वह बेहोश हो गयी. हनुमान जी उसकी निष्ठा और लगन को देखकर प्रसन्न हो गये. उसे दर्शन देकर कहा कि वे उससे प्रसन्न हैं, और उसे बालक देंगे, जो कि उसकी सेवा किया करेगा. हनुमान जी ने उस स्त्री को पुत्र रत्न दिया औरमंगलवार पूजन विधि

मंगलवार व्रत की शुरूआत शुक्ल पक्ष के प्रथम मंगलवार से करनी चाहिए. इस व्रत को आठ मंगलवार अवश्य करें. इस व्रत में गेहूं और गुड़ से बना भोजन ही करना चाहिए. एक ही बार भोजन करें. लाल पुष्प चढ़ायें और लाल ही वस्त्र धारण करें. अंत में हनुमान जी की पूजा करें.

मंगलवार व्रत कथा

एक निःसन्तान ब्राह्मण दम्पत्ति की है जो काफ़ी दुःखी थे. ब्राह्मण वन में पूजा करने गया, और हनुमान जी से पुत्र की कामना करने लगा. घर पर उसकी स्त्री भी पुत्र की प्राप्त के लिये मंगलवार का व्रत करती थी. मंगलवार के दिन व्रत के अंत में हनुमान जी को भोग लगाकर भोजन करती थी. एक बार व्रत के दिन ब्राह्मणी ना भोजन बना पायी, और ना भोग ही लगा सकी. तब उसने प्रण किया कि अगले मंगल को ही भोग लगाकर अन्न ग्रहण करेगी. भूखे प्यासे छः दिन के बाद मंगलवार के दिन तक वह बेहोश हो गयी. हनुमान जी उसकी निष्ठा और लगन को देखकर प्रसन्न हो गये. उसे दर्शन देकर कहा कि वे उससे प्रसन्न हैं, और उसे बालक देंगे, जो कि उसकी सेवा किया करेगा. हनुमान जी ने उस स्त्री को पुत्र रत्न दिया और अंतर्ध्यान हो गए.

ब्राह्मणी इससे अति प्रसन्न हो गयी और उस बालक का नाम मंगल रखा. कुछ समय उपरांत जब ब्राह्मण घर आया, तो बालक को देख पूछा कि वह कौन है? पत्नी ने सारी कथा अपने स्वामी को बतायी. पत्नी की बातों को छल पूर्ण जान ब्राह्मण ने सोचा कि उसकी पत्नी व्यभिचारिणी है. एक दिन मौका देख ब्राह्मण ने बालक को कुंए में गिरा दिया, और घर पर पत्नी के पूछने पर ब्राह्मण घबराया. पीछे से मंगल मुस्कुरा कर आ गया. ब्राह्मण आश्चर्यचकित रह गया. रात को हनुमानजी ने उसे सपने में सब कथा बतायी, तो ब्राह्मण अति हर्षित हुआ. फ़िर वह दम्पति मंगल का व्रत रखकर आनंद का जीवन व्यतीत करने लगे.

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